दोस्तों हमारे देश में सदियों इन तीन शब्दों का बहुत महत्व रहा है कहने में और सुनने में ये बड़े छोटे सुनाई देते है लेकिन इनका सार कहने और सुनने की सीमा से परे है आज हमारा समाज देश इन्हे चीजो की वजह से बटा हुआ है जिसको भी सत्ता पाने की चाहत होती है वो सबसे पहले इनको ही हथियार बना कर हमारे समाज पर और हमीं लोगो पर चला कर विजय प्राप्त करना चाहता है क्योकि सत्ता के लालची लोग ये अच्छी तरह से जानते है की भारत में अगर शासन करना है तो लोगो में फूट डलवा कर किया जा सकता है ऐसा पहले भी होता था जब अंगेरज़ो ने फूट डालो और शासन करो की नीति बनाई थी जिससे हमारा देश बाटा गया और वही अलग हुआ हिस्सा आज हमारे देश के लिए सर दर्द बना हुआ है इससे किसे फायदा हुआ निसंदेह आम जनता को तो बिलकुल भी नहीं हजारो लोग मारे घर उजड़ गए बच्चे अनाथ हो गए लेकिन बटवारा करवाने वालो को आंच तक नहीं आई उस वक़्त भी यही घटनाए हो रही थे हिन्दुओ के मंदिर में गाय काट कर डालना और मुस्लिमो के मस्जिद में सूअर डालना ये काम सामाजिक लोग नहीं कर सकते क्योकि हर सामाजिक आदमी ये अच्छी तरह से जानता है की समाज आपसी सहयोग और प्यार व भाईचारे से बनता है फिर ये लोग कौन है जो हमारे समाज को और आपसी भाईचारे को तोड़ने पर लगे हुए है ये लोग जो हमारे लिए दिखावा करते है की दूसरे धरम वालो की ईट से ईट बजा देंगे ये लोग हमें रास्ता क्या दिखायेगे जो खुद गलत रास्ते पर चल रहे है पहले जब हमारे घरो में पड़ोसियों से लड़ाई होती थी तो दोनों घर के मुखिया बड़े बुजुर्ग उसको शांति से सुलझाया करते थे ये नहीं कहते थे की 15 मिनट पुलिस हटाओ हम देख लेंगे हम देख लेंगे से उनका मतलब ये नहीं है की वो देख लेंगे लड़वाएंगे वो हमें ही भई क्यों तुम कौन होते हो हमें लड़वाने वाले ये लोग जब सत्ता में नहीं है तब ऐसी घटिया बात कर रहे है जब सत्ता में होंगे तो न जाने क्या करेंगे इन लोगो को उन फुटपाथ पर सोते हुए लोगो के लिए कोई हमदर्दी नहीं आती जो मजबूर और बेसहारा है की अगर तुम्हे रहने को छत और खाना नहीं मिला तो हम अपने तरफ से देंगे क्योकि वो इनको दुआ के अलावा कुछ नहीं दे सकते हमें जागना होगा देश में फिर बटवारे वाले हालात न बने इसका हर इंडियन को ख्याल रखना होगा एक दूसरे की भावनाओ का यदि हम ख्याल नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा कब तक हम आग से आग बुझाते रहेंगे हम इसी धरती पर पैदा हुए यही हमने सब कुछ सीखा फिर क्यों हम इसका नामो निशान मिटने पर तुले हुए है मजहब के लिए धर्म के लिए लोगो को मारकर क्या मिलेगा ये धर्म हमारे पूर्वजो ने सही तरीके से जीने के लिए बनाए थे लेकिन हम लोग तेरा धरम नया तेरा पुराना कर रहे है क्यों हम दकिया नूसी बातो से अलग हट कर नहीं सोच सकते एक उज्जवल भविस्य की तरफ जहा न कोई छोटा न कोई बड़ा ना जात पात ऊपर वाले ने हमें इंसान बना कर भेजा है लेकिन हम खुद तो अलग हुए ही उसको भी बाट दिया और आखिर में दोस्तों एक लाइन आपके साथ बाट रहा हु। ……घर से मंदिर मस्जिद है बहुत दूर चलो यु करले किसी रोते हुए बच्चे को हसाया जाए किसी रोते हुए बच्चे को हसाया जाए लव ओनली इंडिया
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