Tuesday, April 28, 2015
Gorakh dhanda
ईमानदार Doctors (यदि कोई हो तो) पे नहीं है ये टिप्पणी.. कृपया वे अन्यथा न लें और आहत न हों।
(सन्देश को उदाहरण के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है क्रप्या अपने पर न लें। )
आप एक कसबे में रहते हैं, मोटरसाइकिल से कही जा रहे थे, एक्सीडेंट हो गया, चोट लग गयी। अस्पताल 2 km दूर है, बगल से एक ऑटो रिक्शा वाला जा रहा है। अस्पताल 2 km दूर है ऑटो वाला कहता है 2000 र लूँगा पहले, तब छोडूंगा अस्पताल तक..आप क्या करेंगे?? मान लीजिये आपने मना कर दिया दूसरा ऑटो वाला आ गया, वो बोला चलो मैं 1000 में छोड़ देता हूँ। पहला ऑटो वाला उस से भिड गया.. साले मेरी सवारी खराब कर रहा है, रेट बिगाड़ रहा है। दूसरा ऑटो वाला डर के भाग गया.. आप क्या करेंगे ???? चलो इसे छोडिये अब.. ये सिर्फ समझाने के लिये था। असली मुद्धे पर आते है। पिता जी को "हार्ट अटैक" हो गया..
डॉक्टर कहता है Streptokinase इंजेक्शन ले के आओ..9000 रु का.... इंजेक्शन की असली कीमत 700 - 900 रु के बीच है पर उसपे MRP 9000 का है। आप क्या करेंगे???? बेटे को टाइफाइड हो गया. डॉक्टर ने लिख दिया कुल 14 Monocef लगेंगे। होलसेल दाम 25रु है. अस्पताल का केमिस्ट आपको 53 रु में देता है.. आप क्या करेंगे?? माँ की किडनी फेल हो गयी है. हर तीसरे दिन Dialysis होता है.. Dialysis के बाद एक इंजेक्शन लगता है ( नाम मुझे मालूम नहीं ) MRP शायद 1800 रु है। आप सोचते हैं की बाज़ार से होलसेल मार्किट से ले लेता हूँ। पूरा हिन्दुस्तान आप खोज मारते हैं, कही नहीं मिलता.... क्यों ? कम्पनी सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर को सप्लाई देती है। इंजेक्शन की असली कीमत 500 है पर डॉक्टर अपने अस्पताल में MRP पे यानि 1800 में देता है.... आप क्या करेंगे ?? बेटे को इन्फेक्शन हो गया है. डॉक्टर
ने जो Antibiotic लिखी वो 540 रु का एक पत्ता है. वही salt किसी दूसरी कम्पनी का 150 का है और जेनेरिक 45 रु का.... पर केमिस्ट आपको मना कर देता है... नहीं जेनेरिक हम रखते ही नहीं, दूसरी कम्पनी की देंगे नहीं.. वही देंगे जो डॉक्टर साहब ने लिखी है यानी 540 वाली? आप क्या करेंगे?? बाज़ार में Ultrasound 750 रु में
होता है. चैरिटेबल डिस्पेंसरी 240 रु में करती है। 750 में डॉक्टर का कमीशन 300 रु है। MRI में डॉक्टर का कमीशन 2000 से 3000 के बीच है। डॉक्टर और अस्पतालों की ये लूट, ये नंगा नाच बेधड़क बेखौफ्फ़ देश में चल रहा है। Pharmaceutical कम्पनियों की lobby इतनी मज़बूत है की उसने देश को सीधे सीधे बंधक बना रखा है।
स्वास्थय मंत्रालय और सरकार एकदम लाचार है। डॉक्टर्स और दवा कम्पनियां मिली हुई हैं। दोनों मिल के सरकार को ब्लैकमेल करते हैं.. सरकार पूरी तरह लाचार है ? या नकारा ? नपुंसक ? यक्ष प्रश्न.. मीडिया दिन रात रोजा और रोटी दिखाता है, लाल किताब बेचता है, समोसे के साथ बाबा जी की हरी चटनी, सास बहू और साज़िश, सावधान, क्राइमरिपोर्ट, राखी सावंत, Bigboss, Cricketar की Girlfriend,बिना ड्राईवर की कार, गड्ढे में गिरा प्रिंस.. सब दिखाता है.....परDoctors, Hospitals और Pharmaceutical कम्पनियों की ये लूटक्यों नहीं दिखाता?? मीडिया नहीं दिखाएगा तो कौन दिखाएगा?? मेडिकल lobby की दादागिरी कैसे रुकेगी?? इस lobby ने सरकार को लाचार कर रखा है। media क्यों चुप है ? क्या मीडिया को भी खरीद लिया है फार्म कंपनी ने ?? 2000 रु मांगने वाले ऑटो वाले को तो आप
कालर पकड़ के मारेंगे चार झापड़...डॉक्टर साहब का क्या करेंगे?????? 🚩🚩🚩🚩🚩 यदि आपको ये सत्य लगता है तो ठोको ताली । और शेयर कीजिये सबको ।।।।
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ajay mishra (facebook)
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