Wednesday, April 22, 2015

क्रोधी बालक


एक १२-१३ साल के बालक को बहुत क्रोध आता था इस बात से उसके पिताजी बहुत परेशान थे एक दिन उन्होंने उसे बहुत सी कील दी और कहा की जितनी बार तुम्हें गुस्सा आए तो उतनी किले सामने वाले पेड़ में ठोक देना पहले दिन लड़के ने ३० किले ठोकी अगले दिन कुछ कम हुई और इस प्रकार एक दिन ऐसा आया जब एक या दो कील ही ठोकी जाती थी उसे समझ में आ गया था की पेड़ मेह कीले ठोकने से क्रोध पर नियंत्रण करना ज्यादा आसान है एक दिन ऐसा भी आया जब उसने एक भी कील पेड़ मेह नहीं ठोकी उसने पिता को बताया उसके पिता ने कहा की अब वो सारी कीले निकाल दो जो तुमने पेड़ में ठोकी है लड़के ने सारी कीले निकाल दी और अपने पिता को बताया उसके पिता उसका हाथ पकड़ कर उसी पेड़ के पास ले गए पिता ने पेड़ को देखते हुए कहा की तुमने बहुत अछा काम किया है लेकिन मेरे बेटे यह पेड़ अब उतना खूबसूरत नहीं रहा जितना पहले था हर बार जब तुम क्रोध करते थे तो ऐसे हे निशान दुसरो के मन में बन जाते थे जैसे तुम इस पेड़ को देख रहे हो अगर तुम किसी के पेट में छुरा मार दो और फिर उससे हजार बार माफ़ी मांग लो तब भी जख्म का निशान हमेशा वही रहता है अपने मन कर्म और वचन से कोई ऐसा काम न करो जिससे तुम्हें बाद में पछताना पड़े



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