Friday, May 15, 2020

खुला पत्र स्कूल प्रशाशन एवम अभिभावकों के लिये

खुला पत्र
स्कूल प्रशाशन एवम अभिभावकों के लिये

विषय: लोक डाऊन के दौरान फीस लेने / ना लेने/ बारे

महोदयगण
निवेदन यह है की मेरे इस खुले पत्र को लिखने का कारण स्कूल फीस जमा ना कराने से सम्बन्धित नही है! जब मेने अपने नोनिहालो को प्राईवेट स्कूल मे दाखिला दिलाया था तब मे अच्छी तरह से जानता था की मुझे इसकी अच्छी-खासी कीमत भी चुकानी होगी क्योकी प्राईवेट स्कूल का मतलब ही बिजनेस है जो की प्रॉफिट पर चलता है उससे इसका कोई मतलब नही है की इसके लिये सरकार इनको कितना अनुदान करती है ! इनका काम सिर्फ़ प्रॉफिट कमाना होता है ! इस प्रॉफिट के लिये अलग अलग तरह से कभी बिल्डिंग फंड, कभी ऐडमिशन चार्ज, कभी प्रोजेक्ट चार्ज,कभी एनुअल चार्ज, एवम टुशन फीस के नाम से वसूल किया जाता है उस पर भी जब कम पड्ता है तो हर साल सलेबस चेंज करके बूक्स के दुगने तिगुने पैसे वसूल(एठ) किये जाते है! और मे एक अभिभावक होने के नाते चुप चाप अपना व अपने परिवार का पेट काट कर इनको अपनी उस एक इछा की मेरा बच्चा अच्छा पढ़ पायेगा रकम चुका देता हू और सोचता हू की चलो ये साल किसी तरेह से फीस भर दी अब अगले साल की फीस इकट्ठा करता हू! हर साल यही चलता है  इस बीच कभी कभी टुट भी जाता हू आम आदमी हू हिम्मत जवाब दे जाती है साहब पर जब अपने बच्चो की तरफ देखता हू तो उनकी कोमल आंखे मेरे शरीर मे उर्जा का संचार करती है और मे फिर से खडा हो जाता हू अपने देश के इस एजुकेशन सिस्टम से पिसने के लिये ,पर आज कुछ खास हुआ है मेरे साथ पहले तो मे पेट काट लिया करता था जितना कमाता था उससे बच्चो की पढाई, बिजली बिल,घर का किराया,सादा से खाने से गुजर हो जाता था कभी दुध वाले के इस महीने चुका दिये कभी बिजली बिल इस तरेह से मैनेज कर लेता था पर मार्च 2020 से तो जेसे सारी चीजे मेरे हाथ से निकल ही गई है काम पर जाना बन्द हो गया है लोअर मिडिल क्लास और समान्य जाती से हू इस लिये मेरी तरफ किसी भी सरकार की कोई जिम्मेदारी नही है! इसलिये  आज मे इस देश का नागरिक खुद को इन परिस्तिथियो मे सम्हाल नही पा रहा हू मेरे पैर लडखडा रहे है! रोज स्कूल की तरफ से मैसेज आ रहे है की फीस जमा करवाओ  तुम्हारे मन मे बैमानी है इस लिये तुम फीस देने से बच रहे हो जिसमे सरकार की तरफ से हमारे शिक्षामन्त्री भी साफ कह चुके है की फीस चुकानी होगी किसी भुल मे ना रहे! मे मन्त्री साहब को कहना चाहूँगा की मेरे मन मे कोई बैमानी नही है साहब मे तो फीस भरता ही था कभी देर सवेर भले हो जाती थी पर चाहे किसी से उधार पैसे लेके भी भरता था देर होने के कारण मुझे मेरे बच्चो के द्वारा रोज कहलाया जाता था की फीस नही भरोगे तो पेपर मे रोल नम्बर नही मिलेगा ! महोदय  मन्त्री साहब मे बईमान नही हू पर आज इस वैश्विक बीमारी के चलते मेरा काम तो बन्द ही है साथ मे कोई उधार देने को भी त्यार नही है!उपर से आपका बयान मुझे अंदर से झकझोर दिया है !  इस मानसिक अशांति मे मेरे हाथ मे कुछ भी नही है! और ना ही मेरी परिस्थति एसी है की मैरी कोई सुने पर फिर भी इस देश का नागरिक होने के नाते अपनी सरकार से एक विनिती करता हू की इस वैश्विक महामारी के चलते मेरे जेसे तमाम लोअर मिडिल क्लास व सामान्य जाती के लोगो का सब कुछ उजड़ गया है सरकार से विनिती है की वो प्राईवेट स्कूल को लॉक डाऊन के दौरान नो प्रॉफिट नो लॉस के तोर पर स्कूल की फीस ली जाये जो भी स्कूल का खर्चा हो वो सार्वजनिक किया जाये और उसके आधार पर फीस ली जाने का आदेश दे  जिससे स्कूल भी चले और आम लोगो की हिम्मत भी ना टूटे! महोदय मे आपको विश्वास दिलाता हू की हम अभिभावक अपने बच्चो के मन्दिर को डूबने नही देंगे

        एक जिम्मेदार अभिभावक
                   हरियाणा


आशा है की मेरे इस खुले पत्र को आगे तक पहुचाने मे आप सब मेरी सहायता करेंगे!🙏

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