Tuesday, May 5, 2015

मृत्यु एक अंत या शुरुआत

                                                  मृत्यु एक अंत या शुरुआत 
मृत्यु क्या है ये सब जानते है ! जब मृत्यु होती है तब शरीर काम करना बंद कर देता
है धड़कन रुक जाती है शरीर ठंडा हो जाता है ! आँखे सिथिर हो जाती है ! हिन्दू  धर्म
में मानते  है जब व्यकि की मृत्यु नजदीक आती है तब उसे यमराज के दूत दिखाई देते है ! जो उसको अपने साथ ले जाने के लिए आते है ! जो उसके जीर्ण शरीर से उसकी आत्मा निकल लेते है और चल पड़ते है यमपुरी की और जहा उसके पाप और पुण्य का फैसला होता है जब उसके कर्मो का हिसाब हो जाता है तो स्वर्ग या नरक जिसकी वो आत्मा हकदार होती है उसे वह भेज दिया जाता है ! और जब वह आत्मा अपने पाप  या पुण्य का भोग कर लेती है तब उसे दोबारा मृत्यु लोक भेज दिया जाता है इस प्रकार ये कर्म चक्र कालचक्र चलता रहता है हर धर्म का अपना अलग मत है! लेकिन उनके अलग अलग मतों पर न जाते हुए ! केवल इसी मत को उदहारण सवरूप देखते है ! क्या ऐसा सचमुच होता है या ये केवल इंसानो की कल्पना है क्योकि ये वास्तव में है ये मरके कोई नहीं बता पाया ! इसके लिए हम एक छोटा सा उदहारण लेते है ! आज़ादी से पहले हमारे देश की जनसख्या लगभग  361,088,400  थी और आज लगभग1200000000 अगर हम ये मान  ले के आत्मा न  पैदा होती है और न मरती  है और हम  ये मानते  है के हर सांस लेने वाले प्राणी में आत्मा होती है तब ये नियम टूटता परतीत होता है ! क्योकि जब ये आत्मा न पैदा  होती है और न मरती है ! जबकि हर सांस लेने वाले  प्राणी में अलग अलग आत्मा होती है! तो आखिर इतनी आत्मा आ कहा से रही है ! कुछ तर्क शक्ति के धनवान ये तर्क दे सकते है ! जब से आजादी मिली है तब से कुछ जानवरो की प्रजाति लुप्त भी तो हुई है  !तथा जानवर ज्यादा तादात में मारे जा रहे है ! इसीलिए जानवरो  की आत्मा  इंसानो का रूप लेके इंसानो से जानवरो जैसा सलूक कर रही  है  तब  कोई बात नहीं और ये सही  भी है क्योकि आये दिन इंसान ऐसे कार्य कर रहा है जो जानवरो से भी ज्यादा घ्रणित है ! लेकिन मेरा मानना ये है की ये कुछ लोग है !जो ऐसा काम कर रहे है अगर पर्सेंट में कहा जाए तो सौ में से दो पर्सेंट कैसे इसका भी उद्धरण बताया जा सकता है ! आप हा आप ही जो इस लेख को पढ़ रहे है ! आप अपने सर्किल में अपने जानने वाले लोगो  के स्वभाव  के बारे में विचार करिये इनमे से कितने लोग ऐसे है जो अपराधिक परवर्ती के है या आप को लगता है के समाज में इनकी कोई जरुरत नहीं है ! में अपने बारे में बताऊ तो में सिर्फ एक आदमी को जनता हु और मुझे लगता है के उसके किये हुए कर्म उसे सामाजिक प्राणी नहीं बनाते  यानी मेरी जानकारी  के अनुसार में सिर्फ एक आदमी को अपने सर्कल  में जानता  हु इसी प्रकार आप भी अंदाजा लगा सकते है  की बुरे उतनी नहीं है जितनी हम मन में बिठा कर रखे  है इसका  दूसरा कारन ये भी है के बुराई जितनी जल्दी फ़ैलती  है उतनी  अच्छाई जल्दी नहीं फैलती ज्यादातर लोग गॉसिप में एक दूसरे की कमीईओ को बताते है उसकी अच्चाइयो  को नहीं बताते जो खबर  हम न्यूज़  पर देखते है वो पुरे देश की होती है लेकिन उससे एक एक आदमी देखता है और उसे लगता है की देश  में बुरे ज्यादा फैल गए है जो की पूर्ण रूप से सत्य नहीं है! हमारे दूसरे चरण में हमने उन विद्वानो के तर्क का जवाब दिया है ! जो ये कह सकते है की जानवरो की आत्मा की वजह से आबादी बढ़ी है ! अब हम अपने पुराने प्र्शन पर वापिस आते है की क्या आत्मा का वजूद है या नहीं आत्मा क्या है मेरे अनुसार एक विचार है क्योकि विचार हे है जो  मनुष्य के पूर्व में किये हुए कार्य  को सहेज  के रखता है विचार ही अजर अमर सकता है ! क्योकि विचार कभी  नहीं मरता इस विचार को न अग्नि जल सकती है न वायु ऐसे सुख सकती है ! विचार ही ना- नाशवान है! दोस्तों इसी साथ मेह अपने विचार का समापन करता हु और एक विचार आपके लिए दे जाता हु विचार कीजियेगा  .............................
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मेरे दोस्तों अगर आप के पास भी कोई  मोटिवेशनल कहानी या समाज से जुडी कोई  महत्वपूर्ण जानकारी है जो आप अपने साथियो के साथ बाटना चाहते है तो आप का स्वागत है आप अपनी कहानी मुझे मेल कर सकते है और साथ में अपनी फोटो भी भेज सकते है कहानी पसंद आने पर आपके फोटो के साथ ब्लॉग पर पोस्ट की जाएगी मेल करे:   agentvikash.lic@gmail.com

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