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कहते है जब सिकन्द्रीया की लायब्रेरी में आग लगी तो उस आग में लाइब्रेरी की तमाम किताबे जल गई लेकिन एक किताब बच गई ये कोई मूलयवान किताब नहीं थी एक मामूली पढ़ना जानने वाले गरीब व्यक्ति ने उसे चंद पैसो में खरीद लिया किताब में कुछ रोचक नहीं था ! लेकिन उस किताब में एक पर्ची पर कुछ खास चीज लिखी हुई मिली ! उस पर्ची पर पारस पत्थर का रहस्य लिखा हुआ था ! पर्ची पर पारस पत्थर के बारे में लिखा था की एक छोटा सा पत्थर होता है जो किसी भी चीज को सोने में बदल देता है पर्ची पर उसकी पहचान बताई गई थी की दिखने में वो आम पथरो जैसा ही होता है पर छूने पर वो गर्म लगता है! और वो पत्थर सागर तट पर पाया जाता है उस गरीब आदमी ने सोचा की अगर वो पत्थर मुझे मिल जाए तो में कुछ भी कर सकता हु उस आदमी ने अपनी झोपड़ी किसी को बेच दी और सागर तट की तरफ रवाना हो गया! वहाँ उसने देखा की हजारो की तादात में पत्थर पड़े हुए है ! उसने एक एक कर के पथरो को सागर में फेकना चालू कर दिया ! इस तरह से दिन गुजरे हफ्ते गुजरे और उस आदमी को वाही पत्थर फेकते हुए छे महीने हो गए एक दिन पत्थर फेकते हुए उसे एक पत्थर गर्म महसूस हुआ लेकिन अपने छे महीने की आदत वास उसने वो पत्थर भी सागर में फेक दिया उसे बहुत पश्चाताप हुआ लेकिन अब क्या हो सकता था! उसमे इतनी हिम्मत नहीं बची थी की वो दुबारा शुरुवात करे दोस्तों इसी प्रकार अवसर होते है ! वो हमारे पास तो आते है लेकिन कभी कभी हम उनेह समझ नहीं पाते और जब वो अवसर हमारे हाथ से निकल जाते है तब हमें उसका एहसास होता है ! की वो हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण था ! दोस्तों हमारे आस पास हर समय अवसर गुजरते रहते है उनमे से कोण सा हमारे लिए महत्वपूर्ण है इसकी परख हमें बेहद सावधानी से करनी चाहिए! ना जाने कौन सा पारस पत्थर हमारे हाथ मे आकर भी साधारण पत्थर की तरह निकल जाए
आशा करता हु के ये कहानी सब को पसंद आए और कहानी का सार समझ कर अपनी लाइफ सुखद बनाए
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