भारतीय जीवन बीमा निगम के विपणन विभाग से जुड़े व्यक्ति ने बताया कि पहले जो बीमा पॉलिसियां जारी हुईं, उनमें अधिकतर में देय प्रीमियम से 10 गुना ज्यादा राशि का जीवन बीमा नहीं था। वर्ष 2014 के वित्त विधेयक में इस बात का प्रावधान किया गया था। बस इसी प्रावधान से दिक्कत शुरू हो गई।
उन्होंने बताया कि पहले की जिन पॉलिसियों में प्रीमियम का 10 गुना ज्यादा बीमा कवरेज है, उसमें तो कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन जिन पॉलिसियों में इतने का कवरेज नहीं है, उसमें 2 फीसदी टीडीएस काटा जा रहा है। देखा जाए तो वर्ष 2003 के बाद जारी अधिकतर पॉलिसियों में प्रीमियम रकम के 10 गुना राशि का बीमा कवरेज नहीं है। इसलिए उसकी परिपक्वता पर टीडीएस कट रहा है। इस वजह से आए दिन पॉलिसीधारक की एजेंटों से बहस हो रही है।
पॉलिसीधारक कहते हैं कि पॉलिसी बेचते वक्त तो यह बताया नहीं गया था। अब क्यों टीडीएस काटा जा रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि इस चक्कर में आए दिन एलआईसी की शाखाओं में ग्राहकों ,एजेंटों और कर्मचारियों के बीच झड़प हो जाती है। उन्हें किसी तरह से संभाला जाता है। एलआईसी के एक एजेंट के मुताबिक सरकार के इस प्रावधान की वजह से उनके ग्राहक बिदक रहे हैं, क्योंकि इससे लाखों पॉलिसीधारकों के हित प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जिन ग्राहकों ने मनी बैक पॉलिसी ले रखी है, और उनका मनी बैक एक लाख रुपये से ज्यादा का आ रहा है, उनसे भी 2 फीसदी टीडीएस काटा जा रहा है।
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